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Wednesday, December 27, 2023
दूर फ़ज़ा में एक परिंदा
दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में ,
उस को क्या मालूम ज़मीं पर चढ़े हैं तीर कमानों में।
-शम्स फर्रुखाबादी
बिछड़ते टूटते
बिछड़ते टूटते रिश्तों को हम ने देखा था,
ये वक़्त हम पे भी गुज़रेगा ये न सोचा था।
-शम्स फर्रुखाबादी
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