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Sunday, December 31, 2023

मेले से बुंदे,

मेले से बुंदे, बाल-पिनें कुछ नहीं लिए
मेरी ग़यूर बेटी ने चादर ख़रीद ली 

-कैफ़ी संभली

Saturday, December 23, 2023

वतन की ख़ाक

वतन की ख़ाक, मुझे एड़ियाँ रगड़ने दे
मुझे यकीन है, पानी यहीं से निकलेगा

            -कैफ़ी सम्भल