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Monday, January 15, 2024

गेहूँ बोये किन्तु

गेहूँ बोये किन्तु खेत में फसल उगी बन्दूकों की
गाँव हो गये कैसे चम्बल बरगद ने सब देखा है

                -राजगोपाल सिंह

Thursday, January 04, 2024

गाँव की मत पाल

गाँव की मत पाल तू खुश्फ़हमियाँ
अब वहाँ के हाल भी अच्छे नहीं

          -हरेराम समीप

गोलियाँ कोई

गोलियाँ कोई निशाना बाँधकर दागी थीं क्या
खुद निशाने पै आ पड़ी आ खोपड़ी तो क्या करें

              -गिरीश तिवारी 'गिर्दा'

गुब्बारे से बदन

गुब्बारे से बदन पे वो मग़रूर था बहुत
पिचका तो साँस-साँस से आने लगी हवा

         -फ़िराक़ जलालपुरी

गुलाम बन गया है

गुलाम बन गया है हर कोई मशीनों का
हमें तो डर है कि अब आदमी की खैर नहीं

    -मधु 'मधुमन'

Thursday, December 28, 2023

ग़रज़ कि काट दिए

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त, 
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में।

-फिराक़ गोरखपुरी  

गुज़रने को तो

गुज़रने को तो हज़ारों ही क़ाफ़िले गुज़रे,
ज़मीं पे नक़्श-ए-क़दम बस किसी किसी का रहा। 

-कैफ़ी आज़मी

गिरती दीवारों पे

गिरती दीवारों पे कुछ परछाइयाँ रहने लगीं,
घर को वीराँ देख कर तन्हाइयाँ रहने लगीं।

-बदनाम नज़र 

Tuesday, December 26, 2023

ग़लत बातों को

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।

            -जावेद अख़्तर

ग़ैरत-ज़दा तो

ग़ैरत-ज़दा तो डूब गया एक बूँद में, 
बे-ग़ैरतों को कोई समुंदर नहीं मिला। 

-महेन्द्र हुमा

गिरते हैं समुंदर में

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

            -क़तील शिफ़ाई

Sunday, December 24, 2023

ग़लत हो तुम कि

ग़लत हो तुम कि अब कुछ हो नहीं सकता,
घड़ी कोई नहीं होती सँभलने की। 

      -संजीव गौतम

Tuesday, December 12, 2023

ग़ैरों से कहा तुम ने

ग़ैरों से कहा तुम ने, ग़ैरों से सुना तुम ने,
कुछ हम से कहा होता, कुछ हम से सुना होता।

              -चराग़ हसन हसरत

गुल से लिपटी हुई

गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो,
आँधियों तुम ने, दरख़्तों को गिराया होगा।

                -कैफ़ भोपाली