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Monday, January 22, 2024

राम के राज की

राम के राज की तस्वीर थी अपनी धरती
मसलक-ए-फ़िक्र-ओ-अमल उन्स-ओ-वफ़ा था पहले 

-मौज फतेहगढ़ी

ये लगता है

ये लगता है तरक़्क़ी कर रहे हैं 
गिरावट रोज़ बढ़ती जा रही है

-मौज फतेहगढ़ी 

दिल में बंदों के

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था पहले
ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले 

-मौज फतेहगढ़ी 
 

 
[राजेंद्र बहादुर मौज, 03 जुलाई 1922,  फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश]