पूछ कर उनसे हम उठें-बैठें
ज़िन्दगी ऐसे तो न जी जाए
-डा. वीरेन्द्र कुमार शेखर
पहाड़ों, जंगलों से तो सुरक्षित-सी निकल आई,
मगर शहरों के पास आकर, नदी खतरे में पड़ती है।
-ओमप्रकाश यती
परिंदे वो ही जा पाते हैं ऊँचे आसमानों तक
जिन्हें सूरज से जलने का तनिक भी डर नहीं होता!
-जयकृष्ण राय तुषार