ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
पापा घर मत लेकर आना,
रात गए बातें दफ्तर की।
-विज्ञान व्रत
पहाड़ों, जंगलों से तो सुरक्षित-सी निकल आई,
मगर शहरों के पास आकर, नदी खतरे में पड़ती है।
-ओमप्रकाश यती