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Tuesday, January 16, 2024

मैं भी दरिया हूँ

मैं भी दरिया हूँ मगर सागर मेरी मंज़िल नहीं
मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जायेगा
     
                        -राजगोपाल सिंह

Monday, January 15, 2024

गेहूँ बोये किन्तु

गेहूँ बोये किन्तु खेत में फसल उगी बन्दूकों की
गाँव हो गये कैसे चम्बल बरगद ने सब देखा है

                -राजगोपाल सिंह

Sunday, January 07, 2024

आँधियों से भी

आँधियों से भी दरख्तों में न हो टकराव सो
दूरियाँ लाजिम हैं इतनी दो तनों के बीच में

           -राजगोपाल सिंह