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Tuesday, April 02, 2024

मंजिल है बहुत दूर

मंजिल है बहुत दूर बहुत दूर ये न देख
ये देख कि तय तुझसे कितना फासला हुआ

            -सत्यपाल सक्सेना

(आजकल, अक्तूबर 1983) 

सब उसकी बात

सब उसकी बात निर्विरोेध मान लेते हैं
मानों वो आदमी न हुआ फैसला हुआ

           -सत्यपाल सक्सेना


(आजकल, अक्तूबर 1983)