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-हस्तीमल हस्ती
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Tuesday, January 16, 2024
हमारे ही
हमारे ही क़दम छोटे थे वरना
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था
-हस्तीमल हस्ती
Monday, December 25, 2023
आग पी कर भी
आग पी कर भी रौशनी देना,
माँ के जैसा है ये दिया कुछ-कुछ।
-हस्तीमल ‘हस्ती’
ख़ुद चिराग़ बन कर
ख़ुद चिराग़ बन कर जल वक़्त के अँधेरे में,
भीख के उजालों से रौशनी नहीं होती।
-हस्तीमल ‘हस्ती’
आने को दोनों आते हैं
आने को दोनों आते हैं इस जीवन के आँगन में,
दुःख अरसे तक बैठे रहते सुख जल्दी उठ जाते हैं।
-हस्तीमल ‘हस्ती’
बरसों रुत के
बरसों रुत के मिज़ाज सहता है,
पेड़ यूँ ही बड़ा नहीं होता।
-हस्तीमल ‘हस्ती’
तुम हवाएँ ले के आओ
तुम हवाएँ ले के आओ, मैं जलाता हूँ चिराग़,
किसमें कितना दम है यारों फैसला हो जाएगा।
-हस्तीमल ‘हस्ती’
Tuesday, December 19, 2023
चालबाज़ी से जो खेला
चालबाज़ी से जो खेला, खेल के भीतर रहा,
जो रहा ईमान पर, वो खेल के बाहर हुआ।
-हस्तीमल हस्ती
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