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Thursday, February 15, 2024

ये रंग-ए-बहार

ये रंग-ए-बहार-ए-आलम है क्यूँ फ़िक्र है तुझ को ऐ साक़ी
महफ़िल तो तिरी सूनी न हुई कुछ उठ भी गए कुछ आ भी गए

                -असरार-उल-हक़ मजाज़