ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
हर आदमी में होते हैं, दस बीस आदमी,
जिसको भी देखना हो, तो, कई बार देखना।
-निदा फ़ाज़ली
जिन च़रागों को हवाओं का खौफ नहीं, उन च़रागों को हवाओं से बचाया जाए,
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।
-निदा फाजली