Saturday, January 06, 2024

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का अदना सा फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फ़ैले तो ज़माना है

            -जिगर मुरादाबादी

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