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Friday, January 05, 2024
यहाँ तक आते-आते
यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा
-दुष्यन्त कुमार
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