Friday, January 05, 2024

सर ढका हमने

सर ढका हमने अगर तो पाँव नंगे रह गए
अपने अरमानों की चादर उम्र भर छोटी रही

             -विजय कुमार सिंघल

1 comment:

डॉ विनीता कृष्णा said...

दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ।