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Thursday, February 15, 2024
बरसों के रत-जगों
बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे
सूरज निकल रहा था कि नींद आ गई मुझे
-क़ैसर-उल जाफ़री
[1926 - 2005]
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