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Monday, March 04, 2024
कहीं वो आके
कहीं वो आके मिटा दें न इन्तेज़ार का लुत्फ़
कहीं कुबूल न हो जाय इल्तेजा मेरी।
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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