Friday, December 29, 2023

भीतर से ख़ालिस

भीतर से ख़ालिस जज़्बाती और ऊपर से ठेठ-पिता,
अलग, अनूठा, अनबूझा-सा इक तेवर थे बाबू जी।

-आलोक श्रीवास्तव

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