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व्योम के पार
कविता की पाठशाला
Friday, January 05, 2024
आज उनके हाथ में
आज उनके हाथ में है इस चमन की आबरू
कल थे जिनके बिस्तरों से तितिलियों के पर मिले
-डॉ. सन्तोष पाण्डेय
आदमी बढ़ता
आदमी बढ़ता गया है चाँद तक
आदमीयत की विदाई हो गयी
-प्रहलाद नारायण बाजपेयी
उपवन उजाड़ के
उपवन उजाड़ के वो मेरा, क्यों चली गई
मेरी तो आँधियों से कोई दुश्मनी न थी
-विजय लक्ष्मी 'विभा'
इंसाँ अक्सर सबसे
इंसाँ अक्सर सबसे तो बतियाता है
खुद से बातें करने से कतराता है
-चन्द्रमोहन तिवारी
Thursday, January 04, 2024
जो उलझ कर
जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में,
गाँव तक वह रोशनी आएगी कितने साल में?
-अदम गोंडवी
गाँव की मत पाल
गाँव की मत पाल तू खुश्फ़हमियाँ
अब वहाँ के हाल भी अच्छे नहीं
-हरेराम समीप
मैं लानत भेजता हूँ
मैं लानत भेजता हूँ मुल्क की ऐसी तरक्की पर,
किसानों का मुकद्दर हो जहाँ मजदूर हो जाना!
-अशोक रावत
लाख कोशिशों के
लाख कोशिशों के बावजूद अंधकार,
रोशनी के वंश को मिटा नहीं सके
-अशोक रावत
हो गई है
हो गई है नदी बहुत भावुक
याद कर के पहाड़ की बातें
-ओमप्रकाश यती
हम जहाजों में
हम जहाजों में उड़कर कहाँ जाएँगे
लौटना तो पुराने मुहल्ले में है!
-प्रदीप कुमार रौशन
हम चले तो
हम चले तो संग ग़म के काफ़िले भी चल दिये
हैं बहुत मायूसियाँ पर हौसले अपनी जगह
-पुष्पा रघु
सियासत खेलती है
सियासत खेलती है और हम फुटबाल बनते हैं
मज़े की बात तो यह है हमें शिकवा नहीं होता
-कृष्ण सुकुमार
लोगो मेरे साथ चलो
लोगो मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है
पीछे मुड़कर देखने वाला पत्थर का हो जाएगा
-क़तील शिफ़ाई
लौट आए फिर
लौट आए फिर हरापन, ऐसी कुछ तरकीब कर
आरियां ही मत जुटा सूखे शजर के वास्ते
-कृष्ण गोपाल विद्यार्थी
यहाँ तो शख़्स की
यहाँ तो शख़्स की पहचान हो गई मुश्किल
हमारे शहर में जिस्मों पे सर नहीं होता
-परवेज़ अख़्तर
यही बेहतर है
यही बेहतर है अपने आप में अब सीख लें रहना
गए वो दिन चलन होता था जब मिलने-मिलाने का
-मधु 'मधुमन'
रफ्तः रफ्तः जो
रफ्तः रफ्तः जो हक़ीकत थे, कहानी हो गए
ख़ून से सींचे हुए रिश्ते भी पानी हो गए
-कुँअर बेचैन
लग गए जब
लग गए जब परिंदों के पर तो वो फिर
उड़ गए एक दिन आशियां छोड़ कर
-मधु 'मधुमन'
लोग आवाज़
लोग आवाज़ उठाते नहीं मजबूरी में
और सरकार समझती है, रिआ’या ख़ुश है
-मधु 'मधुमन'
धूप ही धूप है
धूप ही धूप है अब छाँव बहुत थोड़ी है
राह मुश्किल है मगर आस नहीं छोड़ी है
-बी आर विप्लवी
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