ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
कविता की पाठशाला
नवगीत की पाठशाला
नवगीत संग्रह और समीक्षा
लोक संस्कृति
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
link
व्योम के पार
कविता की पाठशाला
Wednesday, January 10, 2024
तन्हा सफ़र
तन्हा सफ़र तवील है मैं ऊब जाऊँगा
ऐ सर-फिरी बयार मिरे साथ-साथ चल
-पुष्पराज यादव
ख़ुदा ने किस शहर
ख़ुदा ने किस शहर अंदर हमन को लाए डाला है
न दिलबर है न साक़ी है न शीशा है न प्याला है
-पंडित चंद्रभान बरहमन
किसी रईस की
किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र ही क्या है
ख़ुदा के घर भी न जाएँगे बिन बुलाए हुए
-अमीर मीनाई
जंग तो ख़ुद ही
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है
जंग क्या मसअलों का हल देगी
-साहिर लुधियानवी
कैसे कोई
कैसे कोई दुख-सुख बाँटे, कैसे कोई बात करे
मौसम तानाशाह खड़ा है अपने पंजे फैलाए
-जय चक्रवर्ती
समापन हो गया
समापन हो गया नभ में सितारों की सभाओं का
उदासी आ गई अँगड़ाइयों तक तुम नहीं आए
-बलबीर सिंह रंग
पहले भी देखा
पहले भी देखा सत्ता के मद में लोगों को
पर इतना निर्लज्ज और मदहोश नहीं देखा
-अशोक रावत
तू कभी सुख की
तू कभी सुख की किसी लोकोक्ति सी मिलती हमें
तेरी खातिर दर्द के अनुप्रास को जिन्दा रखा
-रमेश राज
झूठ कितना भी
झूठ कितना भी आँख दिखलाए
सच कभी खुदकुशी नहीं करता
-ओम प्रकाश 'नूर'
क्या पूछते हो
क्या पूछते हो नामो-निशाने मुसाफिरां
हिंदोस्तां में आए हैं, हिंदोस्तां के थे
-जोन एलिया
उसको सच कहना
उसको सच कहना जरूरी था मगर
सूलियों को देखकर के डर गया
-महेन्द्र हुमा
अंदाज शातिराना है
अंदाज शातिराना है खाँसी का आपकी
खाँसी नहीं है आपको, ऐसे न खाँसिए
-डा० अश्वघोष
अजब है रात से
अजब है रात से आँखों का आलम
ये दरिया रात भर चढ़ता रहा है
-नासिर काज़मी
Monday, January 08, 2024
दिल ने घंटों की
दिल ने घंटों की धड़कन लम्हों में पूरी कर डाली
वैसे अनजानी लड़की ने बस का टाइम पूछा था
-फ़ज़्ल ताबिश
Sunday, January 07, 2024
आँगन में धूप
आँगन में धूप, धूप को ओढ़े उदासियाँ
घर में थे ज़िंदगी के निशाँ कम बहुत ही कम
-पी पी श्रीवास्तव ‘रिंद’
हो चुकी जब
हो चुकी जब ख़त्म अपनी ज़िंदगी की दास्ताँ
उन की फ़रमाइश हुई है इस को दोबारा कहें
-शमशेर बहादुर सिंह
हर शख्स की
हर शख्स की खुशी में हुआ जब से मैं शरीक
उस दिन से मेरे घर कई त्यौहार हो गए
-अरुण साहिबाबादी
वो कल नाराज़ था
वो कल नाराज़ था जिससे उसी के घर चला आया
बस उसकी ज़िद है सच्चाई की, वो रूठा नहीं है
-किशन तिवारी
शंकर की तरह
शंकर की तरह सख्त जो किरदार हो गए
उनके लिए तो नाग भी सिंगार हो गए
-अरुण साहिबाबादी
रास्ते जब
रास्ते जब नए बनाओगे
कुछ तो काँटे जरूर पाओगे
-सुल्तान अहमद
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)