Wednesday, January 10, 2024

तन्हा सफ़र

तन्हा सफ़र तवील है मैं ऊब जाऊँगा 
ऐ सर-फिरी बयार मिरे साथ-साथ चल 

-पुष्पराज यादव

ख़ुदा ने किस शहर

ख़ुदा ने किस शहर अंदर हमन को लाए डाला है
न दिलबर है न साक़ी है न शीशा है न प्याला है 

                        -पंडित चंद्रभान बरहमन

किसी रईस की

किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र ही क्या है 
ख़ुदा के घर भी न जाएँगे बिन बुलाए हुए

                    -अमीर मीनाई

जंग तो ख़ुद ही

जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है 
जंग क्या मसअलों का हल देगी

                -साहिर लुधियानवी

कैसे कोई

कैसे कोई दुख-सुख बाँटे, कैसे कोई बात करे
मौसम तानाशाह खड़ा है अपने पंजे फैलाए

    -जय चक्रवर्ती

समापन हो गया

समापन हो गया नभ में सितारों की सभाओं का
उदासी आ गई अँगड़ाइयों तक तुम नहीं आए

          -बलबीर सिंह रंग

पहले भी देखा

पहले भी देखा सत्ता के मद में लोगों को
पर इतना निर्लज्ज और मदहोश नहीं देखा

          -अशोक रावत 

तू कभी सुख की

तू कभी सुख की किसी लोकोक्ति सी मिलती हमें
तेरी खातिर दर्द के अनुप्रास को जिन्दा रखा

          -रमेश राज

झूठ कितना भी

झूठ कितना भी आँख दिखलाए
सच कभी खुदकुशी नहीं करता

      -ओम प्रकाश 'नूर'

क्या पूछते हो

क्या पूछते हो नामो-निशाने मुसाफिरां
हिंदोस्तां में आए हैं, हिंदोस्तां के थे

    -जोन एलिया

उसको सच कहना

उसको सच कहना जरूरी था मगर
सूलियों को देखकर के डर गया 

    -महेन्द्र हुमा

अंदाज शातिराना है

अंदाज शातिराना है खाँसी का आपकी
खाँसी नहीं है आपको, ऐसे न खाँसिए

      -डा० अश्वघोष

अजब है रात से

अजब है रात से आँखों का आलम
ये दरिया रात भर चढ़ता रहा है

                -नासिर काज़मी

Monday, January 08, 2024

दिल ने घंटों की

दिल ने घंटों की धड़कन लम्हों में पूरी कर डाली 
वैसे अनजानी लड़की ने बस का टाइम पूछा था 

    -फ़ज़्ल ताबिश

Sunday, January 07, 2024

आँगन में धूप

आँगन में धूप, धूप को ओढ़े उदासियाँ 
घर में थे ज़िंदगी के निशाँ कम बहुत ही कम

-पी पी श्रीवास्तव ‘रिंद’

हो चुकी जब

हो चुकी जब ख़त्म अपनी ज़िंदगी की दास्ताँ 
उन की फ़रमाइश हुई है इस को दोबारा कहें

-शमशेर बहादुर सिंह

हर शख्स की

हर शख्स की खुशी में हुआ जब से मैं शरीक
उस दिन से मेरे घर कई त्यौहार हो गए

             -अरुण साहिबाबादी 

वो कल नाराज़ था

वो कल नाराज़ था जिससे उसी के घर चला आया
बस उसकी ज़िद है सच्चाई की, वो रूठा नहीं है

             -किशन तिवारी 

शंकर की तरह

शंकर की तरह सख्त जो किरदार हो गए
उनके लिए तो नाग भी सिंगार हो गए

          -अरुण साहिबाबादी

रास्ते जब

रास्ते जब नए बनाओगे
कुछ तो काँटे जरूर पाओगे

         -सुल्तान अहमद