Monday, January 22, 2024

आइना देख के

आइना देख के जीने वालो 
दौर-ए-हाज़िर के भी तेवर देखो 

-शरर फतेहपुरी

मैं समझता हूँ

मैं समझता हूँ ज़माने का मिज़ाज 
वो बनाएगा मिटा देगा मुझे

-शरर फतेहपुरी 

 

[शरर फतेहपुरी, मूल नाम- राम सिंह, 16 मई 1928- 26 नवंबर 1992, फतेहपुर, उ.प्र.] 

दिल में बंदों के

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था पहले
ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले 

-मौज फतेहगढ़ी 
 

 
[राजेंद्र बहादुर मौज, 03 जुलाई 1922,  फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश]

लम्हे के टूटने की

लम्हे के टूटने की सदा सुन रहा था मैं 
झपकी जो आँख सर पे नया आसमान था

-आदिल मंसूरी

ऐसे डरे हुए हैं

ऐसे डरे हुए हैं ज़माने की चाल से
घर में भी पाँव रखते हैं हम तो सँभाल कर

                    -आदिल मंसूरी

Sunday, January 21, 2024

इरादे बाँधता हूँ

इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ 
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए  
           
                    -हफ़ीज़ जालंधरी

काबे में भी वही है

काबे में भी वही है शिवाले में भी वही 
दोनों मकान उस के हैं चाहे जिधर रहे

-लाला माधव राम जौहर

भाँप ही लेंगे इशारा

भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया 
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं 

-लाला माधव राम जौहर

महफ़िलों में

महफ़िलों में बात जब हक़ की उठी
रूठ के हुशियार कुछ, जाने लगे

-डॅा. वीरेन्द्र कुमार शेखर

सोच जब विज्ञान

सोच जब विज्ञान की आगे बढ़ी
नासमझ इन्सान घबराने लगे

-डॅा. वीरेन्द्र कुमार शेखर

अब इत्र भी

अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ 
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था

-लाला माधव राम जौहर
 

[लाला माधव राम जौहर- 1810-1890,  फ़र्रुख़ाबाद,  उ.प्र.]

Saturday, January 20, 2024

वो कौन हैं

वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत 
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है 

-आनंद नारायण मुल्ला

न हम होंगे

न हम होंगे न तुम होगे न दिल होगा मगर फिर भी
हज़ारों मंज़िलें होंगी हज़ारों कारवाँ होंगे

-मज़रूह सुल्तानपुरी 

न हम-सफ़र

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
                
                        -राहत इंदौरी

सल्तनत ने दी

सल्तनत ने दी रियाया को मदद कुछ इस तरह, 
एक टन अहसान, केवल एक रत्ती सब्सिडी

               -जय चक्रवर्ती

Thursday, January 18, 2024

सौ झूठों की

सौ झूठों की ताकत है
सच की अदना हस्ती में 

       -देवेन्द्र आर्य 

वक़्त आने दे दिखा

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ,
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है।

            -बिस्मिल अज़ीमाबादी

Wednesday, January 17, 2024

साथ लाती हैं

साथ लाती हैं हवा की गंदगी भी
इक यही आदत बुरी है खिड़कियों में 

                -अंजू केशव

जहाँ पिछले कई

जहाँ पिछले कई वर्षों से काले नाग बैठे हैं
वहाँ इक घोंसला चिड़ियों का था दादी बताती है

    -मुनव्वर राना 

Tuesday, January 16, 2024

पूछ कर

पूछ कर उनसे हम उठें-बैठें
ज़िन्दगी ऐसे तो न जी जाए

-डा. वीरेन्द्र कुमार शेखर