Sunday, December 31, 2023

अँधेरा था तो

अँधेरा था तो ये सारे शजर कितने अकेले थे
खुली जो धूप तो हर पेड़ से साया निकल आया 

-भारत भूषण पंत 

Saturday, December 30, 2023

हैं अपनी जगह

हैं अपनी जगह क़हक़हें कुर्सियों के,
सिसकता प्रजातन्त्र अपनी जगह है।

-शिव ओम अम्बर

नदी के वेग को

नदी के वेग को ज्यादा नहीं तुम बाँध पाओगे
जो हद हो जाएगी तो ठान लेगी सब मिटाने की

-ममता किरण

इतने दिये बुझाए

इतने दिये बुझाए पागल आंधी ने,
सत्त रही दलाल, हाल के दंगे में।

-विजय किशोर मानव

मैं एक कतरा हूँ

मैं एक कतरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है

-कृष्ण बिहारी नूर

खुद भी खो जाती है

खुद भी खो जाती है, मिट जाती है, मर जाती है
जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बाँ छोड़ती है

-कृष्ण बिहारी नूर

कट चुका जंगल

कट चुका जंगल मगर ज़िद पर अड़ी है
एक चिड़िया घोंसला ले कर खड़ी है

-विजय कुमार स्वर्णकार

तुम्हारे पाँव के नीचे

तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

-दुष्यंत कुमार

हम तो सूरज हैं

हम तो सूरज हैं सर्द मुल्कों के,
मूड आता है तब निकलते हैं।

  -सूर्यभानु गुप्त

Friday, December 29, 2023

रिश्तों का इक हुजूम

रिश्तों का इक हुजूम था कहने को आस-पास,
जब वक़्त आ पड़ा तो तअ'ल्लुक़ सिमट गए।

-सीमाब सुल्तानपुरी

सत्ता के सूराखों में

सत्ता के सूराखों में है मज़हब की बारूद भरी, 
आग न इसमें लग जाए फिर मानवता है डरी हुई। 

-हरेराम समीप

ये जो संसद में

ये जो संसद में बिराजे हैं कई गोबर-गनेश, 
और कब तक हम उतारें इन बुतों की आरती।

-हरेराम समीप

बिल्ली ने उस रात

बिल्ली ने उस रात घोंसला जब चिड़िया का तोड़ दिया, 
पूरी रात बिना बच्चों के चीखी थी चिड़िया रानी। 

-हरेराम समीप

बाढ़ की संभावनाएँ

बाढ़ की संभावनाएँ जिस जगह आँकी गईं, 
दूर तक फैला हुआ वो एक रेगिस्तान है। 

-सुरेश सपन

बड़े से भी बड़े

बड़े से भी बड़े पर्वत का सीना चीरता है खुद, 
किसी के पाँव से चलकर कोई दरिया नहीं आता।

            -हरेराम समीप

तेरहवीं के दिन

तेरहवीं के दिन बेटों के बीच बहस बस इतनी थी, 
किसने कितने ख़र्च किए हैं अम्मा की बीमारी में।
 
-हरेराम समीप

जब से महानगर में आया

जब से महानगर में आया आकर ऐसा उलझा मैं, 
भूल गया हूँ घर ही अपना घर की जिम्मेदारी में।

-हरेराम समीप 

चुपके-चुपके घर की

चुपके-चुपके घर की अलमारी में दीमक लग गई, 
ध्यान रख लेते तो बच जाते बड़े नुकसान से।

-हरेराम समीप

कुछ तो बोलो

कुछ तो बोलो आपस तुम बातचीत मत बंद करो, 
पड़ जाएगी सम्बंधों को वर्ना ढोनी ख़ामोशी।

        -हरेराम समीप

क्यों बुतों को

क्यों बुतों को दण्डवत कर और पूजा-पाठ कर, 
लोग चल देते हैं घर से फिर गुनाहों के लिए। 

-हरेराम समीप